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Class 12 (Sanskrit digdarshika) Chapter 3


 

आत्मज्ञ एव सर्वज्ञ

गद्यांशों का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद

प्रश्न-पत्र में संस्कृत के पाठों (गद्य व पद्य दोनों) से एक-एक गद्यांश व श्लोक दिए जाएँगे, जिनका सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद
करना होगा, दोनों के लिए 5-5 अंक निर्धारित हैं।

  •  याज्ञवल्क्यो मैत्रेयीमुवाच-मैत्रेयि! उद्यास्यन् अहम् अस्मात् स्थानादस्मि। ततस्तेऽनया कात्यायन्या विच्छेदं करवाणि इति।
    मैत्रेयी उवाच-यदीयं सर्वा पृथ्वी वित्तेन पूर्णा स्यात् तत् किं तेनाहममृता स्यामिति। याज्ञवल्क्य उवाच-नेति।
    यथैवोपकरणवतां जीवनं तथैव ते जीवनं स्यात्। अमृतत्वस्य तु नाशास्ति वित्तेन इति। सा मैत्रेयी उवाच-येनाहं नामता स्याम
    किमहं तेन कुर्याम्? यदेव भगवान् केवलममृतत्वसाधनं जानाति, तदेव मे ब्रहि। याज्ञवल्क्य उवाच-प्रिया न: सती त्वं प्रियं
    भाषसे। एहि, उपविश, व्याख्यास्यामि ते अमृतत्व-साधनम्।

शब्दार्थ उद्यास्यन्-ऊपर जाने वाला; अहम् मैं; अस्मात्-इससे स्थानात्-स्थान से; अस्मि-.: अनया-इससे; कात्यायन्या-
कात्यायनी से; विकछेद-बँटवारा करवाणि-कर+इयं-यहः उवाच-कहा; सर्वा-सम्पूर्ण, पृथ्वी धरा; वित्तेन-धन से पूर्णा-
परिपूर्ण: स्यात्-हो जाए; अमृता-अमर; स्याम् हो जाऊँगी; उपकरण-धनधान्यादि; जानाति-जानते हैं। तदेक-वही; में-मुझे
बूहि-बताएँ न:-हमारी; प्रियं-प्रिय; भाषसे बोल रही हो।

सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक संस्कृत के ‘आत्मज्ञ एव सर्वज्ञः नामक पाठ से उधृत है।।

अनुवाद याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी से कहा, “मैत्रेयी! मैं इस स्थान (गृहस्थाश्रम) से ऊपर (पारिव्राज्य आश्रम) जाने वाला हूँ। अतः तुम्हारी सम्पत्ति का इस (अपनी) दूसरी पत्नी कात्यायनी से बँटवारा कर दूं।” मैत्रेयी ने कहा, ” यदि सारी पृथ्वी धन से परिपूर्ण हो जाए तो भी क्या मैं उससे अमर हो जाऊँगी?” याज्ञवल्क्य बोले-नहीं। तुम्हारा भी जीवन वैसा ही हो जाएगा जैसा साधन-सम्पन्नों का जीवन होता है। सम्पत्ति से अमरता की आशा नहीं है। मैत्रेयी बोली, “मैं जिससे अमर न हो सकूँगी (भला) उसका क्या करूँगी? भगवन्! आप जो अमरता का साधन जानते हैं केवल वही मुझे बताएँ।” याज्ञवल्क्य ने कहा, “तुम मेरी प्रिया हो और प्रिय बोल रही हो। आओ, बैठो, मैं तुमसे अमृत तत्त्व के साधन की व्याख्या करूँगा।’

  • याज्ञवल्क्य उवाच-न वा अरे मैत्रेयि! पत्युः कामाय पति: प्रियो भवति। आत्मनस्तु वै कामाय पतिः प्रियो भवति। न वा अरे,
    ‘जायायाः कामाय जाया प्रिया भवति, आत्मनस्तु वै कामाय जाया प्रिया भवति। न वा अरे, पुत्रस्य वित्तस्य च कामाय पुत्रो वित्तं
    वा प्रियं भवति। आत्मनस्तु वै कामाय पुत्रो वित्तं वा प्रियं भवति। न वा अरे, सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवति, आत्मनस्तु वै
    कामाय सर्व प्रियं भवति। तस्माद् आत्मा वा अरे मैत्रेयि! दृष्टव्य: दर्शनार्थं श्रोतव्य:, मन्तव्य: निदिध्यासितव्यश्च। आत्मनः
    खलु दर्शनेन इदं सर्वं विदितं भवति।

शब्दार्थ न-नहीं; वा-अथवा; अरे-अरी; पत्यु:-पति की; कामाय-इच्छा के लिए; आत्मन:-अपनी; भवति-होता हैजायाया:-
पत्नी का; वित्तं-धन; सर्वस्य-सब की; तस्माद-इसलिए; दृष्टव्यः-देखने योग्य है; श्रोतव्य:-सुनने योग्य है; मन्तव्य:-मनन करने योग्य है; निदिध्यासितव्यश्च ध्यान करने योग्य; खलु-निश्चय ही।

सन्दर्भ पूर्ववत्।

अनुवाद याज्ञवल्क्य बोले, “अरी मैत्रेयी! (पत्नी को) पति, पति की
कामना (इच्छापूति) के लिए प्रिय नहीं होता। पति तो अपनी ही कामना के लिए प्रिय होता हा अरी! न ही (पति को) पत्नी, पत्नी की कामना के लिए प्रिय होती है, (वरन्) अपनी कामना के लिए ही पत्नी प्रिय होती है।
अरी! पुत्र एवं धन की कामना के लिए पुत्र एवं धन, प्रिय नहीं होते,
(वरन्) अपनी ही कामना के लिए पुत्र एवं धन प्रिय होते हैं। सबकी कामना के लिए सब प्रिय नहीं होते, सब अपनी ही कामना के लिए प्रिय होते है।” “इसलिए हे मैत्रेयी! आत्मा ही देखने योग्य है। दर्शनार्थ, सुनने योग्य है, मनन करने योग्य तथा ध्यान करने योग्य है। आत्मदर्शन से अवश्य ही यह सब ज्ञात हो जाता है।”



प्रश्न/उत्तर

प्रश्न-पत्र में संस्कृत के पाठों (गद्य व पद्य) से चार अति लघु उत्तरीय प्रश्न दिए जाएँगे, जिनमें से किन्हीं दो के उत्तर संस्कृत में लिखने होंगे, प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित हैं।

  1. याज्ञवल्क्य: मैत्रेयीं किम् उवाच?
    उत्तर याज्ञवल्क्य: मैत्रेयीं उवाच-“मैत्रेयि! अहम् अस्मात् स्थानात्
    उद्यास्यन् अस्मि।”
  2. पृथ्वी केन पूर्णा स्यात्?
    उत्तर पृथ्वी वित्तेन पूर्णा स्यात्।
  3. केन अमृतत्त्वस्य आशा न अस्ति?
    उत्तर वित्तेन अमृतत्त्वस्य आशा न अस्ति।
  4. भगवान् किं जानाति?
    उत्तर भगवान् अमृतत्त्वसाधनं जानाति।
  5. याज्ञवल्क्यः मैत्रेयीं कस्य विषयस्य व्याख्यां कृतवान्?
    उत्तर याज्ञवल्क्यः मैत्रेयीं अमृतत्त्व-साधनस्य व्याख्यां कृतवान्।
  6. याज्ञवल्क्यस्य प्रिया का अस्ति?
    उत्तर याज्ञवल्क्यस्य प्रिया मैत्रेयी अस्ति।
  7. कस्य कामाय पतिः प्रियं न भवति?
    उत्तर पत्युः कामाय पति: प्रियं न भवति।
  8. कस्याः कामाय जाया प्रिया न भवति?
    उत्तर जायायाः कामाय जाया प्रिया न भवति।
  9. कस्य कामाय पुत्रं वित्तं च प्रियं भवति?
    उत्तर आत्मनः कामाय पुत्रं वित्तं च प्रियं भवति।
  10. कस्य कामाय सर्वं प्रियं भवति?
    उत्तर आत्मनः कामाय सर्वं प्रियं भवति।
  11. कस्य दर्शनेन इदं सर्वं विदितं भवति?
    उत्तर आत्मन: दर्शनेन इदं सर्वं विदितं भवति।
  12. सांसारिकवस्तूनि जनाय कथं रोचन्ते?
    उत्तर सांसारिकवस्तूनि जनाय आत्मने कामाय रोचन्ते।